“Orders to Kill”: शेख हसीना को सजा-ए-मौत —कैसे शेख हसीना को मिली मौत की सजा?

शेख हसीना को सजा-ए-मौत

Sheikh Hasina ढाका: बांग्लादेश की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा का फैसला सुनाया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होने वाले हैं।

ट्रिब्यूनल ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को तीन गंभीर आरोपों में दोषी पाया है:

  1. निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल के प्रयोग का आदेश देना।
  2. हिंसा भड़काने वाले बयान देना।
  3. ढाका और आसपास के इलाकों में छात्रों की हत्या को रोकने में विफल रहना।

ट्रिब्यूनल ने इन तीनों आरोपों के लिए संयुक्त रूप से एक ही मौत की सजा सुनाने का फैसला किया है। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार ने 453 पन्नों के फैसले में यह टिप्पणी की कि हसीना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ड्रोन, हेलीकॉप्टर और खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था।

पूर्व गृह मंत्री को भी फांसी, सरकारी गवाह को कम सजा

इस मामले में, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी उकसाने का दोषी पाया गया और उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। वहीं, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन, जो इस मामले में सरकारी गवाह बने, उन्हें मात्र पांच साल की कैद की सजा मिली। अदालत ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री की संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया है।

“संयुक्त आपराधिक गिरोह” का आरोप

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शेख हसीना, गृह मंत्री और पुलिस महानिरीक्षक एक “संयुक्त आपराधिक गिरोह” के रूप में काम कर रहे थे। एक कोर कमेटी की बैठक हर शाम गृह मंत्री के आवास पर होती थी, जिसे सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलते थे। देश के 50 से अधिक जिलों में फैले इस आंदोलन के दौरान, संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक, लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई थी।

हसीना ने फैसले को “पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक” बताया

78 वर्षीय शेख हसीना, जो पिछले साल अगस्त से भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही हैं, ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सजा सुनाए जाने के बाद, उन्होंने मीडिया से बातचीत में इस फैसले को ‘पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’ करार दिया। उनका कहना है कि यह फैसला एक ‘धांधलीपूर्ण’ न्यायाधिकरण ने दिया है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।

इस फैसले ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और आने वाले चुनावों पर इसके गहरे प्रभाव की उम्मीद है।